परिवार में एक महिला और दो बच्चे मिलकर आठ घंटे में तीन से चार हजार मास्क तैयार कर लेते हैं। इन्हें एक रुपये प्रति पीस के हिसाब से भुगतान किया जाता है। ऐसे में एक परिवार तीन से चार हजार रुपये प्रतिदिन अर्जित कर रहा है। नाम न छपने की शर्त पर दादरी निवासी एक महिला ने बताया कि मास्क बनाना आसान है। मैं और परिवार के अन्य सदस्य मिलकर मास्क बनाते हैं। इससे अच्छी खासी कमाई हो जाती है। दादरी निवासी छात्र हर्ष शर्मा ने बताया कि मास्क बनाने का तरीका सीखने के बाद परिवार के सदस्यों को भी प्रशिक्षण दिया। पिछले कई दिनों से घर पर ही मास्क बना रहे है।
परिवार में एक महिला और दो बच्चे मिलकर आठ घंटे में तीन से चार हजार मास्क तैयार कर लेते हैं। इन्हें एक रुपये प्रति पीस के हिसाब से भुगतान किया जाता है। ऐसे में एक परिवार तीन से चार हजार रुपये प्रतिदिन अर्जित कर रहा है। नाम न छपने की शर्त पर दादरी निवासी एक महिला ने बताया कि मास्क बनाना आसान है। 


 



मैं और परिवार के अन्य सदस्य मिलकर मास्क बनाते हैं। इससे अच्छी खासी कमाई हो जाती है। दादरी निवासी छात्र हर्ष शर्मा ने बताया कि मास्क बनाने का तरीका सीखने के बाद परिवार के सदस्यों को भी प्रशिक्षण दिया। पिछले कई दिनों से घर पर ही मास्क बना रहे है। 



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मास्क बनाने वाले परिवारों के लोगों का कहना है कि वह चुपचाप इस काम को कर रहे हैं। ताकि, पड़ोसियों को भी इसकी भनक न लगे। इनका कहना है कि यदि जानकारी हो जाएगी तो काम बंट जाएगा। इससे आय कम हो जाएगी। ऐसे में तीन से चार हजार रुपये कमा लेते हैं।
यानि, हमारे उत्साह, हमारी स्प्रिट से बड़ी फोर्स दुनिया में कोई दूसरी नहीं है। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम इस ताकत से हासिल न कर पाएं। आइए, साथ आकर, साथ मिलकर, कोरोना को हराएं, भारत को विजयी बनाएं।
ये उजागर होगा। उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है ! 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं। साथियों, मेरी एक और प्रार्थना है, कि इस आयोजन के समय किसी को भी, कहीं पर भी इकट्ठा नहीं होना है। रास्तों में, गलियों या मोहल्लों में नहीं जाना है, अपने घर के दरवाज़े, बालकनी से ही इसे करना है।
सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा को कभी भी लांघना नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग को किसी भी हालत में तोड़ना नहीं है। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है। इसलिए 5 अप्रैल को रात 9 बजे, कुछ पल अकेले बैठकर, माँ भारती का स्मरण कीजिए, 130 करोड़ देशवासियों के चहरो की कल्पना कीजिए, 130 करोड़ देशवासियों की इस सामूहिकता, इस महाशक्ति का ऐहसास करिए। ये हमें,संकट की इस घड़ी से लड़ने की ताकत देगा और जीतने का आत्मविश्वास भी। हमारे यहां कहा गया है-उत्साहो बलवान् आर्य, न अस्ति उत्साह परम् बलम्।। स उत्साहस्य लोकेषु, न किंचित् अपि दुर्लभम्॥