ये उजागर होगा। उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है ! 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं। साथियों, मेरी एक और प्रार्थना है, कि इस आयोजन के समय किसी को भी, कहीं पर भी इकट्ठा नहीं होना है। रास्तों में, गलियों या मोहल्लों में नहीं जाना है, अपने घर के दरवाज़े, बालकनी से ही इसे करना है।
ये उजागर होगा। उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है ! 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं। साथियों, मेरी एक और प्रार्थना है, कि इस आयोजन के समय किसी को भी, कहीं पर भी इकट्ठा नहीं होना है। रास्तों में, गलियों या मोहल्लों में नहीं जाना है, अपने घर के दरवाज़े, बालकनी से ही इसे करना है।